8TH SEMESTER ! भाग- 116( Desire of A Kiss-1)
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"मैं तो परेशान हो गया हूँ इस लड़के से...मैं एक काम करता हूँ,इसके घरवालो को खबर करके कह देता हूँ कि इसकी टी.सी. कॉलेज से ले जाए और आप इसे अभी यहाँ से पुलिस स्टेशन से ले जाए..."प्रिन्सिपल सर ने मेरी तरफ देखकर गुस्से से कहा और बाहर खड़े चपरासी को अंदर बुलाया
जब चपरासी प्रिन्सिपल के केबिन मे आया तो प्रिन्सिपल सर ने उसे मेरे अड्मिशन फॉर्म से मेरे घर का कॉंटॅक्ट नंबर लाने को कहा...
उधर मेरी खाँसी ये सब देखकर, सुनकर एक दम से ठीक हो चुकी थी,अब आँख भी लाल से सफेद होने लगी और मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था और यही वो वक़्त था जब सिदार के पॉवर का यूज़ करके खुद को बचाया जा सकता था... खुद से खुद को बचाने वाला जुगाड़ तो चला ही नहीं...
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"Arman... It's time to activate Plan-2... ."
"Plan -2 Activated, Sir... Just use your deception techniques..."
"Leave that to me...." मैने खुद से खुद को प्लान activate करने के लिए कहा और फिर खुद ही activate भी कर दिया... Confused...?? मैं भी हूँ 😁
अकसर मुझे लगता है की.. मेरे अंदर एक नहीं बल्कि दो लोगो की आत्मा है और मैं खुद से ही बात करने लगता हूँ. Anyway.... Plan-2 को activate करने के बाद अपने चेहरे पर आए पसीने को सॉफ करके मै बोला
"सर,आप बेवजह मेरे घरवालो को परेशान कर रहे है.. जब .मैने कुछ किया ही नही है...? मैं तो कल रिसेस के बाद से ही हॉस्टल मे कंबल ओढ़ कर सोया हुआ था..."
"सच मे....."मुझपर तिरछि नज़र मारते हुए थ्री स्टार वाले ने पुछा....
"यदि आपको यकीन ना हो तो हमारे हॉस्टल वॉर्डन से पुछ लीजिए...उन्ही के रूम से मैं फीवर की टेबलेट और सर पर लगाने के लिए झंडू बाम लेकर गया था... जिसके बाद मैं अपने रूम मे सीधे जाकर सो गया और रात के 9 बजे मेरी नींद वॉर्डन के उठाने से खुली...जो उस समय हॉस्टल का राउंड लगा रहे थे.. उन्होंने उसके पहले भी राउंड लगाया होगा और मुझे पक्का यकीन है की उन्होंने मुझे सोते हुए देखा होगा... आप प्लीज, उन्हें बुलाकर सच का पता कीजिये...."
ये सुनते ही प्रिन्सिपल सर ने सामने रखे फोन से तुरंत हॉस्टल के फोन पर घंटी मारी,जिसके बाद हमारे वॉर्डन ने उन्हे वही सब बताया जो मैने अभी-अभी बताया था....
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"सॉरी ,पर अरमान सच कह रहा है और मेरी अथॉरिटी मुझे इज़्जजत नही देती कि मैं किसी स्टूडेंट को बेवजह परेशान करूँ....आप अगली बार से अपना काम ठीक ढंग से करें और ये गवर्नमेंट कॉलेज है, बिना किसी पुख्ता सबूत के आइंदा मुझे या मेरे किसी स्टूडेंट को परेशान मत करियेगा...धन्यवाद 🙏"प्रिन्सिपल सर ने अपना चश्मा टेबल पर रखते हुए पुलिस वाले से कहा और फिर वापस अपने चश्मे को आँखो मे फिट करते हुए एक ए-4 साइज़ के पेपर मे कुछ लिख कर,कॉलेज के सील का ठप्पा लगाया और उस कागज को पुलिस वाले के हाथ मे सौंप दिया......
प्रिंसिपल केबिन से बाहर निकलने के बाद जब मै अपनी क्लास की तरफ जाने लगा तो पुलिस वाले ने मुझे आवाज़ दी....
"मैं अपराधियों को देख कर जान जाता हूँ और तू अपराधी है..."
"ऐसा क्या सर...??" मै पीछे मुड़ा... "फिर तो आप मुझे ऐसा एक शख्स ला दो,जो अपराधी नहीं है... बात ये नहीं है की मै अपराधी हूँ या नहीं... बात ये है की आप ये सिद्ध कर पाते हो या नहीं... जो की आप नहीं कर पाए"
"मेरी नज़र अबसे तेरे पर रहेगी...याद रखना..."
"बुरी नजर वालों का मुँह हमेशा से ही काला होता आया है,सर.... और प्रिंसिपल सर को हलके मे मत लेना... एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री के प्राइवेट स्टूडेंट्स को एग्जाम देने के आर्डर को फाड़ कर फेक दिया था... ये सेंट्रल यूनिवर्सिटी है.. यहाँ का डायरेक्टर चाह ले तो आप लोग यहाँ घुस भी नहीं सकते... ओके सर... Have A Nice day..."
उसके बाद पुलिस वाले ने कुछ देर और मुझे घूर कर देखा, जिसे देख कर मुस्कुराते हुए मैने उसी के सामने अपना कॉलर ऊपर चढ़ाया, आँखों मे उसी थ्री स्टार वाले के सामने गॉगल लगाया 😎 और एकदम रोल मे उसके बगल से पार हुआ, कुछ देर अपने दाँत पीसते हुए वो थ्री स्टार वाला मुझे देखता रहा और फिर वो भी प्रिंसिपल सर द्वारा दिया गया कागज लेकर वहाँ से चलता बना....
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उस थ्री स्टार वाले के पास से गुजरते ही मैने एक मस्त लंबी साँस ली... साला फट के चौराहा हो गई थी मेरी... जब वो दाँत पीसते हुए मुझे घूर रहा था... एकात झापड़ मार देता तो...??? पर मै भी करता... प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर, इतने लड़के -लड़किया थे... रोल तो देना ही था. वैसे अब कॉलेज के लड़के लड़किया एकदम फैन बैन गये होंगे मेरे वो नजारा देखकर....है ना...??
यही सोचते -सोचते मैने R.O. के पास पेट भर ठंडा पानी पिया और पानी पीने के बाद खुशी से कूदते-फान्दते क्लास की तरफ गया... इस समय दंमो रानी की क्लास चल रही थी ,पहले तो उसने मुझे अंदर आने की पर्मिशन नही दी लेकिन जब मैने उसे बताया कि मुझे प्रिन्सिपल सर ने मुझे क्यों बुलाया था तो वो एकदम से मान गई... शायद वो भी थोड़ा -थोड़ा मुझसे डरने लगी थी... नहीं तो फर्स्ट ईयर मे तो मै कोई बहाना कर दू, दम्मो रानी पूरा पीरियड क्लास के बाहर ही मुझे खड़ा करके रखती थी.
"बकलोल...मेरी जगह पर इसे क्यूँ बैठाया...अब क्या मैं ज़मीन पर बैठू..."लड़कियो के पीछे वाली बेंच पर 7 लड़को को बैठे देखकर मैं धीरे से चिल्लाया और उसी बेंच मे एक साइड अपना थोड़ा सा पिछवाड़ा टिका कर बैठ गया..... जो बेंच 4 लोगो के बैठने के लिए इस्तेमाल होता था..इस वक़्त उसमे अब 8 लोग बैठे थे...
"अरमान, आया समझ मे की आन्सर कैसे आया...??"चलती क्लास के बीच मे दमयंती ने मुझे खड़ा करके पुछा....
"सब समझ मे आ गया मैम ... आप पढ़ाओ और समझ मे ना आए, क्या ऐसा कभी हो सकता है.."(घंटा समझ मे आया, मुझे तो ये तक नही मालूम की क्वेस्चन क्या था,साली, ठुकी..ठुकाई औरत... मर क्यों नहीं जाती तू )
"समझ आ गया तो फिर सामने आकर एक्सप्लेन करो..."
"आज थोड़ा...आननह "ज़ोर से खाँसते हुए मैने कहा और फिर रुमाल निकाल कर नाक सॉफ किया"आज थोड़ा तबीयत खराब है मैम....."
"ओके,सिट डाउन..."
"थैंक्स "
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दंमो गयी तो दंमो के बाद MS का टीचर आ टपका और आते ही भका भक लिखवाना शुरू कर दिया, ना किसी से कुछ पूछा..ना कुछ बोला... बस आया, अपना नोट्स निकाला और एक तरफ से बोलना चलू कर दिया. साला एक तो ढंग से बैठा नही था उपर से वो ऐसे स्पीड मे बोले जा रहा था जैसे की उसके पिछवाड़े मे किसी ने लट्ठ डाल दिया हो, बक्चोद कही का.....
"कुत्तो... बाद मे कौन आया है...वो उठकर अपनी जगह जाए...बैठते तक नहीं बन रहा "फ्रस्टेशन मे मैं भड़क उठा....
"कोई कहीं नही जाएगा...जिसको प्राब्लम हो वो दूसरे बेंच मे जाकर बैठे..."अरुण बोला
"सुन बे ,यदि ऐसा है तो भूल जा फिर कि दिव्या से मैं तेरी सेट्टिंग करवाउन्गा..."
"सॉरी यार,तू तो बुरा मान गया..."
"बुरा तो लड़किया मानती है, क्यूंकि उनके पास बुरा मानने वाली चीज होती है.. मै तो लड़का हूँ... मै क्यों बुरा मानूंगा "
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मेरी ये धमकी असर कर गयी और अरुण ने तुरंत वहाँ से 4 लड़को को गाली देकर आगे भगा दिया ,अब वहाँ सबसे पीछे वाली बेंच पर सिर्फ़ मैं,अरुण,सौरभ और सुलभ बैठे थे...MS वाला टीचर अब भी भका भक स्पीड से लिखाए पड़ा था बिना इस बात की परवाह किए की आधे से अधिक लौन्डो-लौन्डियो ने लिखना बंद कर दिया है... लेकिन हम चारो अब भी लिख रहे थे और साथ-साथ मे बक्चोदि भी कर रहे थी....
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"बेटा मुझे कुछ दो,वरना मैं सबको बता दूँगा कि उन दोनो को तुम लोगो ने ही ठोका है..."हमारी भका भक लिखाई के बीच मे सुलभ बोला...
"बोल क्या चाहिए तुझे...कार, बंगला या फिर दम्मो रानी की.......तू बोल क्या चाहिए तुझे...तू कहे तो तेरे लिए चाँद-सितारे तोड़ कर ले आउ "
"रहने दे ,तू बस तीन दिन के कैंटीन का बिल दे देना अरुण...और तू सौरभ,तू बाकी के तीन दिन का बिल दे देना...."
"हम दोनो अपने हथियार पर हाथ रख कर तुझे वचन देते है..."अरुण और सौरभ ने एक साथ कहा और अपना एक-एक हाथ रख भी लिया
"और तू अरमान..."सुलभ की नज़रें अब मुझपर जम गयी...
"मैं तुझे हमारी अगली फाइट मे शामिल करूँगा...."
"ये हुई बात,तू ही है मेरा सच्चा मित्र...आइ लव यू "
"आइ लव यू टू...चल एक पप्पी दे "मज़ाक करते हुए मैं सुलभ की तरफ बढ़ा ही था कि एम एस वाले सर की नज़र हम पर पड़ गयी और वो ज़ोर से चीखा"क्या यार,ये तुम लोग क्या कर रहे हो...बेशर्मी की भी हद होती है..."